राष्ट्रीय भण्डारण नीति के अन्तर्गत ‘‘दि एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस (डेवलपमेंट एण्ड वेयरहाउसिंग)
कार्पोरेशन्स एक्ट 1956 के तहत राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1958 में स्थापित। यह एक्ट
बाद में रिपील होकर ’’दि वेयरहाउसिंग कारपोरेशन्स एक्ट, 1962’’ के रूप में प्रतिस्थापित
हुआ। इस निगम के अंशधारी राज्य सरकार तथा केन्द्रीय भण्डारण निगम हैं।
दि वेयरहाउसिग कारपोरेशन्स एक्ट - 1962 के प्रविधानो के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश सरकार
द्वारा बनायी गयी नियमावली मे दी गयी व्यवस्था के अनुसार यह निगम किसी सरकारी कम्पनी
अथवा भारतीय संसद अथवा प्रदेश के विधान मण्डल द्वारा स्थापित किसी साविधिक संस्था अथवा
सहकारी समिति की ओर से कृषि उपज, बीज, खाद्य, उर्वरक, कृषि यंत्रों तथ अन्य अधिसूचित
वस्तुओं के क्रय, विक्रय भंडारण एवं वितरण हेतु एजेन्ट के रुप मे कार्य कर सकता है
।
प्रशासनिक ढाँचा
निगम संगठन के प्रशासनिक ढाँचे के अन्तर्गत मुख्यालय स्तर पर प्रबन्ध निदेशक, उप प्रबन्ध
निदेशक, सचिव, महाप्रबन्धक, प्रबन्धक, उप प्रबन्धक इत्यादि पद स्वीकृत हैं। क्षेत्रीय
कार्यालय स्तर पर 18 क्षेत्रीय कार्यालय तथा 152 भण्डारगृह कार्यरत हैं। प्रत्येक क्षेत्रीय
कार्यालय में क्षेत्रीय प्रबन्धक तथा अन्य स्टाफ तैनात है तथा भण्डारगृहों पर भण्डारगृह
प्रभारी तथा अन्य स्टाफ तैनात हैं।
विशिष्ट कार्यकलाप
- 159 भण्डारगृहों पर वैज्ञानिक भण्डारण की व्यवस्था।
- सहकारी संस्थाओं एवं किसानों को भण्डारण शुल्क में क्रमशः 10 एवं 30 प्रतिशत की छूट।
- 30 अप्रैल 2025 को निगम की स्वनिर्मित क्षमता 26.96 लाख मै0टन एवं किराए पर 2.89 लाख मै0टन एवं पीईजी क्षमता 11.79 लाख मै0टन तथा कुल भण्डारण क्षमता 41.64 लाख मै0टन है अत: सापेक्ष उपयोगिता- 90.22 प्रतिशत।
प्रबन्धन
निगम का प्रबन्धन एवं सामान्य पर्यवेक्षण संचालक मण्डल में निहित है। संचालक मण्डल
में पाँच संचालक केन्द्रीय भण्डारण निगम द्वारा नामित किये जाते हैं जिनमें से एक संचालक
भारतीय स्टेट बैंक के परामर्श से तथा कम से कम एक संचालक गैर सरकारी नामित किये जाने
की व्यवस्था है। पाँच संचालक राज्य सरकार द्वारा नामित किये जाते हैं, जिनमें से एक
की नियुक्ति अध्यक्ष के पद पर की जाती है। राज्य सरकार द्वारा अध्यक्ष तथा प्रबन्ध
निदेशक की नियुक्ति केन्द्रीय भण्डारण निगम को सूचना दिये जाने के अधीन किये जाने की
व्यवस्था है।